Tuesday, April 16, 2019


सुबह सुबह का वक़्त है एक आम माध्यम वर्गीय परिवार का 

एक ६२ वर्षीया पिता अपनी बेटी से बात करते हुए-
 
-अरे शिवली,तुम्हारी आँखे कैसे हो रही हैं,रात को सोइ नहीं क्या ?
-हाँ पापा।ये आईटी इंडस्ट्री ऐसे ही होती है.प्राइवेट जॉब वाले खून चूस लेते हैं.रात भर काम कर रही थी मैं। 
-तो छोड़ दो न.तुम्हे ज़रुरत क्या है काम करने की ?मैं और  भैया अच्छा कमा लेते हैं.ठीक से घर चल तो रहा है. 
-पापा मैं अपने पैरो पर खड़ा होना चाहती हूँ। हाँ मैं थक जाती हूँ लेकिन मुझे काफी अच्छा लगता है आत्मनिर्भर रहना. 
-पर सुनो तो बेटा। 

वो बिना कुछ आगे बात  किये ही ऑफिस के लिए तैयार होने को चली  जाती है। 
उसके जाने के बाद उसका बड़ा भाई पापा को समझाता है 

-पापा करने दीजिये न उसे काम अगर उसे अच्छा लगता है तो. 
फिर किचन से मम्मी आती हैं. 

-हाँ मुझे भी कोई बुराई नहीं लगती। आजकल के बच्चे आत्मनिर्भर होना पसंद करते हैं.. 
-तुम तो चुप ही रहो ,आत्मनिर्भर बन ने के चक्कर  में शादी लेट हो  है.अभी उस दिन बोल रहि थी की शायद दुसरे शहर जाना पड़े २ साल के लिए। कम  से कम वो सरकारी नौकरी कर लेती जो मैंने बोली थी,अपने शहर में तो रहती!

माँ अंदर किचन में वापस चली जाती है. 
शिवली का  भाई भी अपने ऑफिस के लिए तैयार होने लगता है. वो अपने कमरे मैं मन ही मन बड़बड़ाने लगता है